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Tu Hai Kahan Lyrics | AUR

Tu Hai Kahan Lyrics | AUR

Tu Hai Kahan Lyrics | AUR stands as a testament to the harmonious fusion of talent, with Usama Ali and Ahad Khan at the forefront. This captivating piece, produced by the skilled Raffey Anwar

Tu Hai Kahan Lyrics | AUR

Singer: Usama Ali, Ahad Khan
Lyrics: Ahad Khan, Usama Ali
Music: Raffey Anwar
Label: Uraan

Tu Hai Kahan Lyrics | AUR

कि जब मैं हद से आगे
बढ़ गया था आशिकी में
यानी जिंदगी को ले रहा
मज़ाक ही में

फिर मज़ाक ही में
मिल गया सब खाक ही में
छू कर आया मंजिलें तो
तन्हा था मैं वापसी में

जैसे फूल तोड़े होंगे
तुमने झोली भर के
मैं वो फूल जो के
रह गया था शख़्स ही में

जैसा ख्वाब ही मैं
ख्वाबगाह आंख ही में
पल से पल में क्या हुआ तुम
रह गए बस याद ही में

एक सवाल मचलता है
मेरे दिल में कभी
तुझे मैं भूल जाऊं
हां तुझे मैं याद करूं

तुझे सोच के लिखता हूँ
जो भी लिखता हूं
अब लिख रहा हूं तो
फिर क्यों ना एक सवाल करूं

मैं इस सवाल से गम को
बादल दूं खुशियों में
पर इन बे-जान सी खुशियों से
क्या कमाल करूं

पर अब सवाल भी कमाल
तू संभल ले फ़िलहाल
ये सवाल बीचा जाल क्या
मैं चाल चलूं

चल चल तू अपनी
मैं तुझे पहचान लूगा
मैं अपनी महफ़िलों में
सिर्फ तेरा ही नाम लोगा

तुझे पसंद है धीमा लहजा
और बस खामोशियां
मैं तेरे खातिर अपनी
खुद की सांसें थाम लूगा

क्या तेरे सारे आंसू
मेरे हो सकते हैं
ऐसा है तो तेरे खातिर
हम भी रो सकते हैं

मेरे खातिर मेरे रोने पर
अब तुम बस हंस देना
एक बार तेरे मुस्कुराहट के पीछे
हम सब कुछ खोते हैं

क्या मेरी मोहब्बतों का
कोई हिसाब नहीं है
क्यों तेरे आँखों में
मेरे लिए कोई ख्वाब नहीं है

तुझे क्या हाय करूँ गमज़ादा
अब जाने दे
के तेरे पास मेरे प्यार का
जवाब नहीं है

कितनी मुद्दतें हुई हैं
तुमने खत क्यू नहीं भेजा
गा लेता हूं तेरे लिए
मौसिकी नहीं है पेशा

आने की खबर ही नहीं तेरे अब
अब क्या मौसम से पूछूं
तेरे आने ला अंदेशा

आँखों में आँसू नहीं है
कहां है तू कहां तू नहीं है
दिल को ये अब जाना ही नहीं
बस तू चले आओ

तू है कहाँ
ख्वाबों के इस शहर में
मेरा दिल तुझे ढूंढता
ढूंढता अरसा हुआ

तुझको देखा नहीं
तू ना जाने कहां छुप गया
चुप गया

आओ फिर से हम चले
थाम लो ये हाथ
कर दो कम्म ये फासले

ना पता हो मंजिलों का
ना हो रस्ते
तू हो मैं हूं बैठे दोनो
फिर हम तारों के किस्से

ना सुबह हो फिर
ना ही दिन ढले
कुछ ना कह सके
कुछ न सुन सके

बातें सारी वो
दिल में ही रहे
तुम को क्या पता है
क्या हो तुम मेरे लिए

कहकशां हो तुम
कहानियों की कहानियों की तरह हो तुम
तरह हो तुम

मुझमें आ सके ना कोई
इस तरह हो तुम
हो यकीन तुम मेरा
या फिर घुमान हो तुम

आशियां हो तुम
मैं भटका सा मुसाफिर
और मकान हो तुम

मेरी मंज़िलों का
एक ही रास्ता हो तुम
ढूंढता है दिल तुझे
बता कहाँ हो तुम हम्म..

हो जहां कहीं भी
आओ पास ताकी
आंसू मेरे थाम साके

याद आ रहे हो तुम
मुझे अब हर लम्हें
ऐसी जिंदगी का क्या
जो तुम जिंदगी में होके
मेरी जिंदगी ना बन सके

सोचता रहुँ य
भूल जाऊं अब तुम्हें
तुम मिल ही न सकोगी तो
फिर कैसे चाहु अब तुम्हें

तेरे सारे ख्वाब
पल में जोड़ देंगे
जिसमें तू ही ना बसेगा
फिर वो दिल ही तोड़ देंगे

छोड़ देंगे वो शहर
के जिसमें तुम ना होगे
टूट जायेंगे मकान
वो सारे हसरतों के

गुज़रे पल जो साथ तेरे
वो पल है बस सुकून के
मिल लो अब तुम इस तरह
के फिर नहीं मिलोगे

तू ही था साथ में मेरे
कैसे मैं जीउगा अकेला
तारे गिन गिन के
हो गई है सुबह

तू है कहाँ
ख्वाबों के इस शहर में
मेरा दिल तुझे ढूंढता
ढूंढ़ता

अरसा हुआ तुझको देखा नहीं
तू ना जाने कहां छुप गया
छुप गया

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